हर बार की तरह इस बार भी विफल पुरुषत्व की नकेल कसने में असफल ! हर बार की तरह इस बार भी विफल पुरुषत्व की नकेल कसने में असफल !
क्योंकि शायद तू भूल गई है कि बोलना तो गुनाह है। क्योंकि शायद तू भूल गई है कि बोलना तो गुनाह है।
अपने उर में इसे रख लूँ ! अपने उर में इसे रख लूँ !
ईर्ष्या द्वेष की गर्मी से पृथ्वी का मौसम बदल रहा। ईर्ष्या द्वेष की गर्मी से पृथ्वी का मौसम बदल रहा।
थोड़ी सी मिठास और थोड़ा सा प्यार इस जीवन के लिए। थोड़ी सी मिठास और थोड़ा सा प्यार इस जीवन के लिए।
हम सबको है प्यारी ये माँ हम भी इसके प्यारे हैं। हम सबको है प्यारी ये माँ हम भी इसके प्यारे हैं।